मलेशिया की संसदीय फ़िलिस्तीन समिति ने इस बात की पुष्टि की कि ग़ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी धमाका मस्जिद अल-अक़्सा के अपमान, फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में इसराइली क़ब्ज़े द्वारा किए जाने वाले अपराधों और अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है.
एक बयान में, समिति ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया कि वो इस संकट से निपटने के लिए तत्काल क़दम उठाए और इसराइली क़ब्ज़े पर फ़िलिस्तीन की ज़मीन पर ऐसे सभी हमलों और गतिविधियों को रोकने के लिए सख़्त दबाव डाले, जो अंतर्राष्ट्रीय क़ानून, मानवाधिकारों और फ़िलिस्तीनी लोगों की संप्रभुता के सम्मान की उल्लंघन करते हैं.
समिति ने कहा, “हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए कि मौजूदा सूरतेहाल को विश्वासघाती कार्रवाइयों के बहाने से फ़ायदा उठाने की कोशिश न करें, जो फ़िलिस्तीन में अशांति का कारण बन सकते हैं और सामान्यीकरण के माध्यम से अन्य देशों की समर्थन हासिल कर सकते हैं."
समिति ने सभी पक्षों, विशेष रूप से मलेशिया में सामुदायिक समूहों और नागरिक संगठनों से ग़ज़ा पट्टी में तुरंत मानवीय सहायता भेजने का आह्वान किया. साथ ही, उन्होंने स्थानीय मीडिया पर ज़ोर दिया कि वे ग़ज़ा के मौजूदा संकट की कवरेज के लिए पश्चिमी और विदेशी मीडिया के पक्षपातपूर्ण आख्यानों से भ्रमित न हों.
वहीं आज सोमवार को क़ाबिज़ इसराइली विमानों ने बिना किसी चेतावनी के ग़ज़ा पट्टी में नागरिकों के घरों को निशाना बनाकर जघन्य नरसंहार जारी रखा, जिसके परिणामस्वरूप दर्जनों लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश बच्चे और महिलाएं हैं.
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